राजेन्द्र कुमार - नागौर (राजस्थान)
कविता एक क्रांति - कविता - राजेंद्र कुमार
सोमवार, अक्टूबर 10, 2022
कविता केवल शब्द नहीं,
ये शब्दो की है क्रांति।
इतिहास पुराना है इसका,
लोगों में मिटाती भ्रांति॥
पंक्तियाँ होती छोटी-छोटी,
पर नीव हिलाने में माहिर।
इनके आगे न चलती किसी की,
ये दुनिया में है जगज़ाहिर॥
सबकी आवाज़ ये बनती है,
मीलों दूर तक चलती है।
जंग, शांति या प्रेम संदेश
सबकी ढाल ये बनती है॥
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