धरती के देव - कविता - राजेंद्र कुमार

जो खेत जोतकर
अन्न उपजाते,
जन मानस का 
भरते पेट।
वे इस धरती के 
कृषक महान,
जो भीषण धूप में
जोते खेत॥

सर्दी की ठिठुरन 
को सहकर,
बारिश की फुहार
झेलकर,
वे करते है
फ़सलों की रक्षा,
वे इस धरती के 
कृषक महान।
उनका डिगे ना 
कभी हौसला
पूजे उनको
सारा जहान॥

ख़ुद भुखे रह
हमको खिलाते,
वे भगवान सा
फ़र्ज़ निभाते,
कोई उनके जैसा 
कहाँ अन्नवान।
हो धरती के देव निराले
हमारे प्यारे कृषक महान॥

राजेन्द्र कुमार - नागौर (राजस्थान)

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