हिंदी हम सबकी जान है - गीत - महेश 'अनजाना'

हिंदी तो अपनी शान है।
हिंदी देश का अभिमान है।
हिंदी खुली बाँहों वाली,
हिंदी हम सबकी जान है।

हिंदी ने सबको स्वीकारा,
सबने इसको है स्वीकारा।
स्वाधीनता संग्राम की बेटी,
हिंदी राष्ट्रवाद की आन है,
हिंदी देश का अभिमान है।

हिंदी भाषा भारत की सेतु,
हिंदी हंसमुख दोस्त की हेतु।
कहवा घर, चाय-ढाबों पर ये,
सबको ले साथ चले महान है।
हिंदी  देश का अभिमान है,
हिंदी तो अपनी शान है।

गांधी पटेल गुजराती रहे,
अम्बेडकर जी मराठी रहे।
तमिल से राजगोपालाचारी,
टैगोर जी बांग्ला अतिप्यारी।
लाला लाजपत राय पंजाबी,
फ़र्क न हिंदू-मुसलमान है,
हिंदी तो सबकी शान है।

भाषा परिवार की छोटी,
सबसे हिल मिल बन बेटी।
खड़ी बोली से उभरी है ये,
क़स्बों में पली बढ़ी है ये।
तत्सम तद्भव देशज विदेशज,
जनतांत्रिक संस्कार वान है।
हिंदी तो अपनी शान है,
हिंदी देश का अभिमान है।

अपना कर्तव्य निभाना है,
मातृऋण भी चुकाना है।
हर बोली, हर भाषा भाषी,
सबसे पहले है भारतवासी।
अंतरंग रिश्तों में जीकर ही,
ज्ञानी बाँट रहा यहाँ ज्ञान है।
हिंदी तो अपनी शान है,
हिंदी देश का अभिमान है।

महेश 'अनजाना' - जमालपुर (बिहार)

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