हास्य सम्राट राजू श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

हास्य गगन विहग उन्मुक्त उड़न, 
मुख अरुण किरण मुस्काया है। 
अवसाद ग्रस्त करता गुलशन, 
बस शाम ढले मुरझाया है। 

भरता उड़ान नभ हास्य क्षितिज, 
सरताज मिलन बन छाया है। 
श्री हास्य अधर वास्तविक शिखर, 
स्वर्णिम अतीत रच पाया है। 

सबको अपना जीवन सहचर, 
ख़ुशियाँ मुस्कान सजाया है। 
बन कालजयी दिलदार हँसी, 
गुमनाम काल बस आया है। 

हँसमुख अभिनय तनु हास्य लचक, 
नेता अभिनेता छाया है। 
अति नकल निपुण राजू वास्तव, 
बस हास्य जगत चमकाया है। 

अति क्लान्त श्रान्त मानव जीवन, 
गुलज़ार चमन हँसवाया है। 
सोपान ठहाका गूंज शिखर, 
अब ईश्वर गोद समाया है। 

शाश्वत कीर्ति रहे युग-युग मन, 
हँसाकर जो शोक मिटाया है। 
लिख दिया हास्य रस अमर गीत, 
श्री वास्तव शीश नवाया है। 

है धन्य हास परिहास जगत, 
संजीवनी बना हर्षाया है। 
तुम हास्य सम्राट् बनो जन्नत, 
नमन अश्रु नैन भर आया है। 


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