अवनीत कौर 'दीपाली' - गुवाहाटी (असम)
क़दम - कविता - अवनीत कौर 'दीपाली'
बुधवार, जून 22, 2022
क़दमों में क़दम रख
चली थी मैं किसके साथ
वो क़दम मुझे याद नहीं
किसका रहा वो साथ
धुँधली अमिट कुछ यादें हैं
बहुत मजबूत थे, वो पाँव,हाथ
न लड़खाड़ने दिया था मुझे
निस्वार्थ प्रेम का वो नाथ।
हाथ पकड़ अपने अनुज का
चलती हूँ जो साथ अर्भक
अमिट यादें, हो अभिनव
मानस में करती सुखद वास
गर्व अनुभूति होती हैं ख़ास
सर्वदा गुरुता कामना हैं
पग चले पग के साथ।
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