आज धरा ने बासंती शृंगार किया - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'

अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
तक़ती : 22  22  22  22  22  2

आज धरा ने बासंती शृंगार किया,
जैसे नैनो पर ख़ुश जो उपकार किया।

मेघ नेह के लगे बरसने बिन बोले,
कुछ न कहा दिल ने हँसकर सत्कार किया।

एक बरस का इंतज़ार से मिला यही,
हमने तुम से नित सपनो में प्यार किया।

हुआ अँधेरा एकाकी था मन जब भी,
याद तुम्हारी ने उस पल उजियार किया।

दुनिया कहती तुम्हे प्रीत का पैग़म्बर,
इसीलिए हमने भी तुम्हें दुलार किया।

वचन गहो जैसे हो वैसे ही रहना,
तुम पर जग ने यकीं मीत हर बार किया।

तुम से तो युग युग का नाता है 'अंचल'
हमने इसका बरस-बरस इक़रार किया।

ममता शर्मा 'अंचल' - अलवर (राजस्थान)

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