मताधिकार - कविता - बृज उमराव

जागरूक होवे जन मानस,
मताधिकार करे आग़ाज़।
क़ानूनी अधिकार आपका,
ख़ुद से ही करिए शुरुआत।।

किसी की सोंच न हावी होवे,
सोंच विचार करें मतदान।
भावावेश को दूर भगाएँ,
लेना नहीं कोई अहसान।। 

सजग प्रेरणा श्रोत बनें,
उत्साहित करिए जनता को।
लोभ मोह लालच से बचना,
दूर भगाएँ कटुता को।।

विकाश की राह में देश चले,
जन प्रतिनिधि ऐसा चुनिए।
सोंच को अपनी प्रबल बनाएँ,
विचार वार्ता सब सुनिए।।

विचलित मन अव्यवस्थित तन,
बनते काम बिगड़ जाएँ।
गहन विचार करें पहले,
तब मतदान को ख़ुद जाएँ।।

जाति धर्म की बात न हो,
समरसता सदा रहे क़ायम।
ऊँच-नीच का भेद न रखे,
चुनिए प्रतिनिधि ऐसा हरदम।।

राष्ट्रसुरक्षा जीवन रक्षा,
प्रतिनिधि बनें प्रेरणा श्रोत।
जनता की आवाज़ बने,
रहे जोश से ओत प्रोत।।

वंचित की आवाज़ उठाए,
शास्त्री का पर्याय बने।
सदा खड़ा हो साथ आपके,
नेता ऐसा लोग चुनें।।

बूँद-बूँद से घट भर जाता,
बनते जिससे सारे काम।
एक-एक मत की है क़ीमत,
जिनसे मिले सुखद परिणाम।।

बृज उमराव - कानपुर (उत्तर प्रदेश)

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