दुनियाँ में नारी सच्चा किरदार निभाए - कविता - बीरेंद्र सिंह अठवाल

दुनियाँ में नारी सच्चा किरदार निभाए।
ख़ुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।।
अपनों के नाम करदे अपनी सब साँसे,
ख़ामोश रहे उफ भी निकले न ज़ुबाँ से।
हँसता खेलता हुआ सा परिवार बनाए।
दुनियाँ में नारी सच्चा किरदार निभाए,
ख़ुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।

मन के नगर को भी रोशन कर देती हैं,
छोटी ख़ुशियों को प्रमोशन कर देती हैं।
कभी टिक पाती न बेबसी की घड़ियाँ,
यादगार बन जाती हैं हँसी की लड़ियाँ।
बड़ा ही सुंदर सपनों का मीनार बनाए,
दुनियाँ में नारी सच्चा किरदार निभाए।
ख़ुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।।

अटूट रिश्ते के लिए मिश्री बन जाती है,
ज़िद्द पे आए अगर केसरी बन जाती है।
शबनम की बूँदों सी कोमल भी होती हैं,
नैन बरसते रहें ऐसे ओझल भी होती हैं।
बने झाँसी की रानी जब तलवार उठाए।
दुनियाँ में नारी सच्चा किरदार निभाए।
ख़ुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।।

गगन के सितारें हैं जैसे चमके रंगीनी,
संग रहती हमारे हैं सदा बनके संगिनी।
ग़म के नदी से पार करे बनके गामिनी,
मिटाए अँधेरे आफ़ताब बनके दामिनी।
इनके रास्ते में न कोई अंगार सुलगाए,
दुनियाँ में नारी सच्चा किरदार निभाए।
ख़ुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।।

बिरेन्द्र सिंह अठवाल - जींद (हरियाणा)

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