आने वाला पल - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

आने वाला पल तो
आकर ही रहेगा,
जैसे जाने वाला पल भी
भला कब ठहरा है?
क्योंकि आने वाला पल 
अगले पल के साथ ही
बीता हुआ हो जाएगा।
जो पल बीत गया 
उसकी चिंता न कर,
आने वाले पल पर
तनिक शंका न कर।
बीते पल को विदाई के साथ
आने वाले पल का स्वागत कीजिए।
निराश न होइए, ख़ुश रहिए
हर पल का आनंद लीजिए,
हर पल का अपना महत्व
अच्छे बुरे के तराजू में 
न पल को तौलिए,
किसी भी पल को न दुत्कारिए
न सिर पर बिठाइए,
हर पल आता जाता है
आपसे कुछ नहीं लेता
सिर्फ़ देता है और चला जाता,
आप उसे सराहो या गालियाँ दो
आने वाला पल भी आता है
और चला जाता है
आने वाला पल भी 
पल भर में ही इतिहास बन जाता है।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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