अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती : 2122 2122 2122 212
देखने में इस क़दर ख़ुश शक्ल ये तूफ़ान है,
नफ़रतों के फूल लेकर झूमता इन्सान है।
आप हैं कितने भले कितने गुणी क्या फ़ायदा,
सर्वगुण सम्पन्न की पैसा ही अब पहचान है।
रूप भी तेरा है निर्मल और दिल भी है हंसीन,
फिर बता क्यों देख कर आईना तू हैरान है।
झूठ की राहों में देखो आज कितनी भीड़ है,
सत्य की जानिब गया वो रास्ता सुनसान है।
मत उछालो पत्थरों को तुम मेरी जानिब 'नितान्त',
घर ये मेरा शीशे का है और मुझमें जान है।
समीर द्विवेदी नितान्त - कन्नौज (उत्तर प्रदेश)