प्यार का क़िस्सा - मुक्तक - रमाकान्त चौधरी

१)
मैं अपने प्यार का क़िस्सा सुनाने तुमको आया हूँ,
हुआ क्या-क्या मोहब्बत में बताने तुमको आया हूँ।
ज़रा तुम गौर से सुनना मोहब्बत के फ़साने के,
बहाने गीत ग़ज़लों के सुनाने तुमको आया हूँ।।

२)
तुम्हें चाहूँ तो लगता है ख़ुदा को चाहता हूँ मैं,
तुम्हें सोंचू तो लगता है ख़ुदा को सोंचता हूँ मैं।
हमारी दोस्ती भी तो ख़ुदा से कम नहीं हरगिज़,
तुम्हें देखूँ तो लगता है ख़ुदा को देखता हूँ मैं।।
 
३)
तुम्हारे बिन मैं जी लूँगा, सोंचू भी तो डर लगता,
चुप रहूँगा, होंठ सी लूँगा, सोंचू भी तो डर लगता।
हमारे साथ हो तुम तो ये दुनिया ख़ूबसूरत है,
तुम्हारे बिन मैं रह लूँगा, सोंचू भी तो डर लगता।।

४)
लबों पे प्यास रहना, हर पल उदास रहना,
इस मर्ज़ की दवा है, तेरे आसपास रहना। 
मुझे ज़िन्दा बनाए रखे है, अब तलक,
तेरे जाने के बाद भी, तेरा अहसास रहना।।

रमाकान्त चौधरी - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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