अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती : 2122 2122 212
छोड़ के संबंध पकड़े शब्द हैं,
आज भी ज़ेहन में चिपके शब्द हैं।
सोच कर थोड़ा संभल कर बोलिए,
सबसे ज़्यादा आज महँगे शब्द हैं।
तीर जैसे चुभ गए, घर कर गए,
दिल के इक कोने में उतरे शब्द हैं।
शब्द गहरे, भाव भी गहरा रहे,
हाँ नदी सागर से गहरे शब्द हैं।
दूरियाँ बढ़ती सदा कटुसत्य से,
हो गए हम दूर, ठहरे शब्द हैं।
मीठे-मीठे से हमारे बोल हो,
हॅऺ॑सते-गाते दिल लुभाते शब्द हैं।
नागेंद्र नाथ गुप्ता - मुंबई (महाराष्ट्र)