दरियादिली - ग़ज़ल - महेश 'अनजाना'

अरकान: फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
तक़ती: 212 212 212

जो दरियादिली दिखा जाते हैं,
इंसानियत भी निभा जाते हैं।

हर किसी का तो अक्स याद नहीं,
एक आईना वो दिखा जाते हैं।

कुछ करने को कोई काम नहीं,
ख़ुदाया एक इल्म सिखा जाते हैं।

कौन है मुफ़लिसी में रहके भी,
राहें औरों को दिखा जाते हैं।

करके यकीं उनके साथ हो लिए,
भरोसे में गुल कोई खिला जाते हैं।

जब मायूस हुए ख़्वाहिश को ले,
ख़्वाब ऐसा कुछ दिखा जाते हैं।

कुछ कहुँ पर बंदिशें हज़ारों यहाँ,
'अनजाना' भय से हिला जाते हैं।

महेश 'अनजाना' - जमालपुर (बिहार)

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