जीवन डगर - कविता - निशांत सक्सेना 'आहान'

आगे सिर्फ़ वही बढ़ते हैं,
जो धैर्य का रहस्य जानते हैं,
आत्मानिष्ठा से क़दम बढ़ा कर,
युद्ध क्षेत्र में उतर जाते हैं,
नहीं करते निंदा किसी की,
नहीं रखते द्वेष भावना से कोई सरोकार,
परोपकार कर भूल जाते हैं,
अपनो का हाथ पकड़,
जीवन की डगर पर पग बढ़ाते जाते हैं,
रखते हैं संयमित हर परिस्थिति में स्वयं को,
मुस्कुराते हुए दर्द को भूल जाते हैं,
हो जिनका स्वयं पर भरोसा,
वही जिंदगी के बेरंग पलों मे को रंगों से सजाते हैं।

निशांत सक्सेना 'आहान' - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos