फ़ैज़ ख़ुदा का जारी है - ग़ज़ल - अंदाज़ अमरोहवी

अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
तक़ती: 22 22 22 2

फ़ैज़ ख़ुदा का जारी है।
मुश्किल मुझ से हारी है।।

आज भी है मौजूद यज़ीद,
जंग तो आज भी जारी है।

रोकर दिल को हल्का कर,
मेरा मन भी भारी है।

शिकवे वाले कब सोचें,
उसकी क्या लाचारी है।

ग़म को और बढ़ाते हैं,
ये कैसी ग़म ख़्वारी है।

मरने की तो बात ही क्या,
जीना उस पे भारी है।

अंदाज़ अमरोहवी - अमरोहा (उत्तर प्रदेश)

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