समय - कविता - रूचिका राय

समय कहाँ किसी की सुनता है,
वह बस अपनी धुन में रहता है।
समय पल पल चलता जाता,
वह रोज़ नई कहानी गढ़ता है।

समय के अनुसार चले जो,
वह सदा प्रगति करता है।
समय के साथ जो न चल पाया,
वह अफ़सोस ही करता है।

समय की सीख मानो सभी,
समय ज़रूरी है जानो सभी।
समय का आदर जो करता है,
समय उसका आदर करता है।

समयानुसार तुम ख़ुद बदलो,
तभी पथ फूल मिलता है।
जो लकीर के फ़क़ीर बने तो,
समय तुम पर ही हँसता है।

समय यह बहुत कठिन है,
तुमको हिम्मत ही रखना है।
जो विचलित ज़रा हुए तुम,
समय कहाँ क़द्र करता है।

रूचिका राय - सिवान (बिहार)

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