अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)
चाय - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
मंगलवार, मई 25, 2021
चाय की चुस्की में घुला है रफ़्ता रफ़्ता प्यार,
मुस्कुराते लबों पर सदा बढ़ता रहता ख़ुमार।
एक कुल्हड़ चाय से उतरे सिरदर्द की मार,
हो चाय सा इश्क़ भी हर दिन बन जाए इतवार।
रखो अंदाज़ अपना जैसा होता है दिलदार,
छूटती नहीं तलब इसकी भले ही हो जाए उधार।
सुबह-सुबह जो तुम मेरे लिए गर्मागरम चाय लेकर आती हो,
कसम से तुम मेरा हर दिन ख़ास बनाती हो।
मैं और तुम यानी हम से चाय भी तो प्यार करती है,
तभी तो होंठों से आकर सीधे गले में उतरती है।
तेरा साथ न छोड़ेंगे तू मीठे बोल सी घुलकर मिल जाती है,
कितने रिश्ते नाते जुड़वाती है जब तू टेबल पर नाश्ते में आती है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर