बड़ा सलोना चन्दा मामा,
कहाँ अभी तुम जा रहे हो।
सुन्दर मुखरा चमकदार तुम,
अभी कहाँ से आ रहे हो।
नील रंग आकाश बड़ा सा,
तारों से बस भरा पड़ा है।
फूल महकती रजनी गंधा,
बता कहाँ तुम रिक्त पड़ा है।
मेरे घर तुम कब आओगे,
बोलो मामा मौन खड़े हो।
तेरा मुझसे प्यार नहीं अब,
इसीलिए तुम छिपा रहे हो।
निशिचन्द्र प्रभा चहुँदिक फैला
तारा जड़ित वसन मनोहर हो।
परिधान मनोरम संदेशा,
क्यों न मुझे तुम दे रहे हो।
मामा आकर हम बच्चों को,
जल्दी मधुरिम गीत सुनाओ।
प्रेम बढ़ा मेरे प्रिय मातुल,
कब आओगे छिपा रहे हो।
शीतल कोमल मधुरिम मामा,
बोल किधर से आ रहे हो।
धरती माँ का बड़ा दुलारा,
पूर्णिम रात इतरा रहे हो।
मामी मेरी निशा चाँदनी,
चन्द्रमुखी बन विहँस रही है।
देख प्रियम चन्दा मामा मुख,
इधर उधर नभ मटक रही हो।
मत इठलाओ चन्दा मामा,
प्यारे बच्चे राह खड़े हैं।
चहुँ चारु चन्द्र की चपल किरण,
जल थल नभ बस फैल रही है।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली