हारना हमको नहीं गवारा - कविता - गणपत लाल उदय

जिगर में हमारे आग हम रखते,
बाँधे है कफ़न काल से न डरते।
दहाड़ मारकर शिकार है करते,
शेरों बीच रहे किसी से न डरते।।

कठिनाइयों का गहरा हो पहरा,
मौत से लड़कर विजय है पाना। 
अब हारना हम को नहीं गवारा,
मैदान छोड़कर सीखा न जाना।।

भारतीय सेना विनती ना करती,
हौसलो से हमको जीत मिलती।
ना ख़ामोशी पर जाना तू हमारी
राख के अंदर भी आग मिलती।।

फ़र्क़ ना पड़ता दुश्मन है कितने,
छू लेते आसमान नीचे ना देखते।
अब हारना हम को नहीं गवारा,
हम हिंदुस्तानी उधार नही रखते।।

थोड़ा दिमाग़ से सोचा करो यारा,
बढाओ ना हमारा कोई भी पारा। 
कठिन नही ऐसी जंग जीत पाना,
अब हारना हम को नहीं गवारा।। 

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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