अजनबी - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"

कुछ अजनबी भी होते हैं अच्छे,
सोच विचार से लगते हैं सच्चे।

सूझबूझ उनकी बढ़िया,
जैसे अनुभव की लड़ियां।

गैर होकर भी अपने लगते वो,
स्नेह अपनत्व भाव रखते जो।

सही और ग़लत की परख रखते वो,
ग़लती होने पर टोक देते जो।

मीठे बोल बोलें सबसे वो,
व्यवहार कुशल पहचान रखते जो।

अपने वो अपने नहीं होते,
जिनके मन नहीं मिलते।

होते हैं वो ही अपने, 
जो मन से समझते हैं अपने।

अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)

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