अभी अभी तो मिली थी - कविता - अंकुर सिंह

अभी अभी तो मिली थी,
मिलते ही तुम छोड़ चली।
साथ ना दे पाऊँगी मैं,
बोल मुझे तन्हा छोड़ चली।।

चाह संग जुड़ रहे थे जो, 
वो तुझसे मेरे सपने थे।
एक पल सा लगा मुझे।
तुम तो मेरे अपने थे।।

सच ही तुम कहती थी,
नेक इंसा नहीं जमाने में।
माफ़ करना गुस्ताख़ी मेरी,
अगर दिल टूटा अनजाने में।।

अभी अभी तो तुम मिली थी,
एक पल संग रह छोड़ चली।
कुछ तो सोची होती मेरे,
संजोए सपने जो तोड़ चली।।

संग बीते आज हर पल,
अहसास दिलाते कल होंगे।
मुस्कराना हर पल खुशी संग,
भले उस खुशी में हम ना होंगे।।

अभी अभी तो मिली थी मुझको,
मिलते ही तन्हा तुम छोड़ चली।
कमी संग बहुतेरे खूबियाँ मुझमें,
कर दरकिनार उन्हे तू छोड़ चली।।

अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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