किया कुछ भी नही है ज़िंदगी में - ग़ज़ल - अभिनव मिश्र "अदम्य"

गँवाया है समय सब दिल्लगी में,
कटे अब हर घड़ी इक बेकली में।

मुहब्बत इश्क़ की बातों में पड़कर,
हमेशा जल रहा हूँ तिश्नगी में।

तुम्हारी बेरुख़ी हम सह न पाए,
कटे यह ज़िंदगी अब बेबसी में।

अधूरे ख़्वाब जो सारे हमारे
हुए हैं, सिर्फ़ उसकी ही कमी में।

मुहब्बत में सभी को भूल बैठे,
हुआ ये हाल मेरा बे-ख़ुदी में।

बड़ी बेदर्द होती है मुहब्बत,
बहुत रोया हूँ मैं इस आशिकी में।

बिना उसके रहे ना एक पल भी,
किया कुछ भी नही है ज़िंदगी में।

अभिनव मिश्र "अदम्य" - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)

Join Whatsapp Channel



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos