तेरे दर पर मैं फिर से आया हूँ - ग़ज़ल - ज़ीशान इटावी

तेरे दर पर मै फिर से आया हूँ,
तोहफ़-ए-इश्क़ साथ लाया हूँ।

तू लगता है मुझको भूल गया,
मैं नहीं तुझको भूल पाया हूँ।

आगे पीछे रहा तेरे ऐसे,
जैसे तेरा ही कोई साया हूँ।

मुझको तू ढूँढने की कोशिश कर,
तेरी रग रग में मैं समाया हूँ।

मैं हूँ ज़ीशान आपका अपना,
मत समझना कि मैं पराया हूँ।

ज़ीशान इटावी - इटावा (उत्तर प्रदेश)

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