फलक को घेर लिया है कई सितारों ने - ग़ज़ल - ज़ीशान इटावी

तुझे ख़बर भी है ए बे वफ़ा हज़ारों ने।
हयात काट दी रो रो के ग़म के मारो ने।।

ख़िज़ाँ को किस लिए इल्ज़ाम दूँ बताओ ज़रा,
मेरे चमन को जलाया इन्हीं बहारों ने।

मिलूँ मै चाँद से अपने तो किस तरह से मिलूँ,
फलक को घेर लिया है कई सितारों ने।

हमारे मुल्क की अज़मत को बेच डाला है,
हमारे मुल्क के कुछ झूठे ताजदारों ने।

जिधर भी देखूँ मुझे तू दिखाई देता है,
बनाके के रख दिया पागल तेरे इशारों ने।

खज़ाना लूट लिया रेहज़नों ने रातों रात,
सितम किया है ये ख़ुद घर के चौकीदारों ने।

हमारे क़त्ल का कोई सबूत मिल न सका,
कुछ ऐसे क़त्ल किया हमको होशियारों ने।

ज़ीशान इटावी - इटावा (उत्तर प्रदेश)

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