उजाले का संचार - कविता - सुनील माहेश्वरी

किसी के लिए प्रेरणा बना,
किसी को मार्ग प्रशस्त किया,
किसी के जीवन के अँधेरे में,
उजाले का संचार किया,
किसी के दुःख की घड़ी में, 
सुख की बौछार की,
कितने ही अनगिनत सपनों को,
एक नयी ऊँची उड़ान दी,
सपनों की ज़िंदगी में 
अपनो की पहचान बना,
लाख परेशानी आई मुझे,
पर कभी हताश ना मन बना।
प्रयासरत रहा सदा ये जीवन 
हौसलों का संसार मिला।
माना सफ़र था लम्बा,
पर बुलन्दी तक जाना था,
सपना जो संजोया था,
हर हाल में उसको पाना था।
जोश, जज़्बे से कुछ कर गुज़रना था,
नाम तो एक दिन बनना ही था।
दिल से ठाना तो बन ही गया,
देखते ही देखते काफी लोग जुड़ गये,
जो उडाते थे मज़ाक, 
उनके तोते उड़ गये।

सुनील माहेश्वरी - दिल्ली

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