हो गई मग़रूर सुन कोठी पे आना है सुबह,
हम बताएँगे हवा किस ओर जाना है सुबह।
मुतरिबा से बोल दो तैयार सारे साज़ हों,
सोज़ कितना है हमें सबको सुनाना है सुबह।
बागियों से इक दफा जाकर अभी ये पूछ लो,
क्या शहीदों में तुम्हारा नाम लाना है सुबह।
एक लड़की नाम क्या , हाँ याद आया कंगना,
चैनलों पर बस वही मुखड़ा दिखाना है सुबह।
गूँजती ख़ामोशियों से रात कहदे तू ज़रा,
आँख लगने दें अभी सूरज उगाना है सुबह।
मनजीत भोला - कुरुक्षेत्र (हरियाणा)