टिप-टिप बरसा पानी,
पानी ने ठण्ड बढाई।
आग जली घर-घर में,
तो ओढी किसी ने रजाई।
ठण्ड है, इस कदर, तन कंपे थर-थर,
अब तुम ही बताओ बहन,
मैं क्या करूँ?
टिप-टिप बरसा पानी,
पानी ने ठण्ड बढाई।
पारा गया माइनस में,
बर्फबारी की नौमत है आई।
लकड़ियाँ हैं नहीं, बिजली भी ना आई,
अब तुम ही बताओ बहन,
मैं क्या करूँ?
टिप-टिप बरसा पानी,
पानी ने ठण्ड बढाई।
आफिस जाते रस्ते में,
छाता दी हवा ने उड़ाई।
बर्फ की फर्र-फर्र, तर व तर आयी दफ्तर,
अब तुम ही बताओ बहन,
मैं क्या करूँ?
राम प्रसाद आर्य "रमेश" - जनपद, चम्पावत (उत्तराखण्ड)