सौंदर्य - गीत - सतीश मापतपुरी

तुम खुले केश छत पे ना आया करो ,
शब के धोखे में चँदा उतर आएगा ।
बेसबब  दाँत  से  होंठ  काटो  नहीं ,
क्या पता कौन बेवक़्त मर जाएगा ।

होंठ  तेरे  गुलाबी  शराबी  नयन ।
संगमरमर सा उजला है तेरा बदन ।
इतना सजने संवरने से तौबा करो  ,
टूट कर आईना भी बिखर जाएगा ।
शब के धोखे में चँदा उतर आएगा ।

सारी दुनिया ही तुम पर मेहरबान है ,
देख तुमको फरिश्ता भी हैरान है ।
मुसकुरा कर अगर तुम इशारा करो ,
आदमी क्या खुदा भी ठहर जाएगा ।
शब के धोखे में चँदा उतर आएगा ।

तुम  तसव्वुर  की  रंगीन  तस्वीर हो ,
कौन होगा बशर जिसकी तकदीर हो ।
मेरे  गीतों  को होठों  से  छू लो जरा , 
बेसुरा  जो वो सुर में उतर आएगा ।
शब के धोखे में चँदा उतर आएगा ।

सतीश मापतपुरी - पटना (बिहार)

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