जाने कितना वक़्त लगेगा - गीत - डॉ. अरविंद श्रीवास्तव "असीम"

जाने कितना वक़्त लगेगा 
उत्तर पाने में 
मुझको अपना भला लगा
गूंगा बन जाने में।

उगते सूरज के स्वागत में
हाथ जोड़ सब खड़े हुए
अंधकार से लड़ने वाले
जुगनू दिखते डरे हुए
चाटुकारिता भरी हुई क्यों
कोयल के हर गाने में।

अपना जिनको समझा जग में 
वे स्वारथ के मित्र मिले 
जिनको अपने लहू से सींचा 
उनके हाल विचित्र मिले 
दर्द सदा सहते  आए 
उनसे  संबंध निभाने में।

न्याय तुला कमजोर हुई है
हर मजलूम सिसकता है
लूट-मार का दौर चल रहा
न्याय की दिखी विवशता है
निरपराध को बंद किया क्यों
रात-रात भर थाने में।

कुर्सी उनको मिली 
रखा ना जनता से नाता
सेवा का दायित्व निभाना 
नहीं उन्हें आता 
कुचल दिया अरमानों को क्यों 
इस बेजार जमाने में।

डॉ. अरविंद श्रीवास्तव "असीम" - दतिया (मध्य प्रदेश)

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