देखा था जब तुझे - ग़ज़ल - समुन्द्र सिंह पंवार

दिल ही दिल में तुम पर मर मिटे थे हम,
देखा था जब तुम्हें सपनों के गांवों में।

दिल में तब एक तमन्ना हुई कि तुम से,
मिल ही सकें कहीं बहारों के सायों में।

शमां की तरह हुस्न तेरा जल उठे,
सूख जायें अश्क ये मेरी निगाहों में।

नहीं कुछ भी हासिल मुझे तेरे बगैर,
ढूंढू मैं तुमको रात - दिन अपनी आहों में।

ऐसा तो होता ही है प्यार में अक्सर,
धूप में जलना कभी, चलना है छांवों में।

संभल -संभल के चलना ऐ मेरे हमनशीं,
कहीं न कहीं तो मिलेंगे इन्ही राहों में।

छोड़कर इस दुनिया दारी को अब तो,
आ जाओ सनम तुम मेरी बाहों में।

पंवार की इतनी सी तमन्ना है बाकी,
कि खुशबू तेरी उड़ती रहे फिजाओ में।

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos