मुझे मुसलसल देख रहे हो.....हो ना
मांग रहे हो रुख़्सत और ख़ुद ही!
हाथ मे हाथ लिये बैठे हो.....हो ना
दे जाते हो मुझको कितने रंग नऐ!
जैसे पहली बार मिले हो.....हो ना
हर मंज़र मे अब हम दोनों होते हैं!
मुझमें ऐसे आन बसे हो.....हो ना
मेरी बंद आँखे तुम पढ़ लेते हो!
मुझको इतना जान चुके हो.....हो ना
अंकित राज - मुजफ्फरपुर (बिहार)