ये ज़िंदगी - कविता - मधुस्मिता सेनापति

कभी खुशी तो कभी गम है जिंदगी
कभी धूप तो कभी छांव है ये जिंदगी ।।

जज्बातों की बारीकियों से
कभी टूटती बिखरती है ये ज़िंदगी ।।

किस्मत के कोरे कागज पर
मनचाहे इबादत लिखती है ये ज़िंदगी ।।

हर हालातों का हाथ थामें
थमती तो कभी चलती है ये ज़िंदगी ।।

कभी उगते सूरज तो
तो कभी अंधेरी निशा है ये ज़िंदगी ।।

खुशियों से भरी  रंग है ये ज़िंदगी
कभी उदासी सी छाई हुई बेरंग है ये ज़िंदगी ।।

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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