कर्म पर नियंत्रण रखा जा सकता है - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

मन आपके नियंत्रण में नहीं रह सकता लेकिन कर्म पर नियंत्रण रखकर आप मन को सही दिशा में लगा सकते हैं ।
मैंने जीवन के अनुभवों के आधार पर पाया कि कर्म पर नियंत्रण कर मन को सही दिशा  में लगाया जा सकता है ।
कर्म पर नियंत्रण का सीधा संबंध कर्म के निर्धारण से शुरू होता है और उसी पर आगे बढ़ने से शुरू होता है।

कर्म क्या है ? 
सोने से लेकर जागने तक और जागने से लेकर सोने तक हम अपने जीवन में जो भी करते हैं वह कर्म की संज्ञा में आता है। कर्म का कोई मापदंड नहीं होता इसका कोई मानक भी नहीं होता बल्कि इसका। अच्छे और बुरे की दृष्टि में बांटा गया है कर्म।

हमारा मन हमारे तरीके से काम को करना चाहता है और हम करने भी लगते हैं लेकिन लगातार बदलाव रूपी मन हमको आगे बढ़ने से पहले ही दूसरे काम में लगा देता है, और फिर हम भटक जाते हैं।
मन एक अस्थिर अवस्था है। इसको सही दिशा में लगाने वाला व्यक्ति सफलता के शिखर पर पहुंच पाता है ,लेकिन संकट इस बात का है कि हमारा मन नियंत्रित ही नहीं होता।
आदिकाल से मान्यता है कि मन सबसे तेज गति से परिवर्तित होने वाली अवस्था है। जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है परंतु एक सही दिशा तो दिया जा सकता है।

अब सवाल ये उठता है कि कैसे मन को स्थिर अवस्था में लगाया जाए?
आप कहोगे कि कर्म का निर्धारण कर देने मात्र से मन सही दिशा में नहीं लग पाता तो आप सही है। इसके लिए लक्ष्य बड़ा करना होगा एक लंबी कार्य योजना बनानी पड़ेगी, उसके छोटे छोटे हिस्से में उसे पूरा करना होगा। सहयोगीयों का समूह बनाना होगा तब जाकर आप लक्ष्य के प्रति समर्पण भाव को जागरूक कर सकेंगे।
तब कर्म का नियंत्रण होगा और मन सही दिशा में लग जाएगा।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos