किसी की भावनाओं से ना खेलें फ़िल्म निर्माता - लेख - समुन्द्र सिंह पंवार

मित्रों ,
आज बात करेंगे फ़िल्मी जगत की। हमरे देश के फ़िल्मी जगत को बॉलीवुड कहा जाता है। फ़िल्मी जगत ने देश को अनेको कलाकार दिए है।  कई महानायक दिए है। फिल्में हमारी जिंदगी में मनोरंजन का एक अहम् हिस्सा हैं । फिल्मों के अलावा अनेको टी वी प्रोग्राम हमारी दिनचर्या का हिस्सा होते हैं। फिल्मों के कलाकारों को हम अपनी असल जिंदगी में उतारते हैं जैसे की बालों का तरीका उनके कपड़ो का तरीका बोलने का तरीका आदि -आदि। कई फिल्में और नाटक देश की कला संस्कृति धर्म पर भी आधारित होते हैं  जिस से हमारे बच्चे सीखते हैं। कई बार टी वी जगत के कुछ लोग सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए अपनी सीमा पार कर जाते है। ये लोग फायदे के लिए नागरिकों और देश की मान मर्यादा को भुल जाते हैं। ये लोग भुल जाते हैं की आपके नाटक या फिल्म जो आप दिखा रहे हैं वो राष्ट्र की और समाज की छवि को क्षति पंहुचा सकते हैं। किसी धर्म या समुदाय को हानि पंहुचा सकते हैं। माना की टी वी एक मनोरंजन का साधन है लेकिन टी वी के माध्यम से देश की गरिमा और किसी भी धर्म समुदाय की भावना को अगर ठेस लगती है तो ये असहनीय है।  

आप ऐतहासिक , सामाजिक फिल्में बनाओ लेकिन सच दिखाओ ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी सशक्त हो। ऐसी अनर्गल चीजें दिखा के आप समाज का नाश कर रहे है। मित्रों इस तरह की किसी भी फिल्म और नाटक पर हमें आपत्ति दर्ज करनी चाहिए। जो हमारे देश, हमारे धर्म, संस्कृति पर ऊँगली उठाए। और हमारी सेना तो हमारा अभिमान है। कोई भी ऐरा - गेरा अगर हमारी सेना और धर्म पर अशोभनीय टिपण्णी करता है तो हमें उन असामाजिक तत्वों का डटकर विरोध करना चाहिए।
जयहिंद


समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

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