तो ये कोई मुलाकात न हुई - ग़ज़ल - निरंजन कुमार पांडेय


आये ,बैठे मगर बात न हुई ,
तो ये कोई मुलाकात न हुई ।

अच्छी नींद की दुआ न आयी,
मेरे लिए तो अभी रात न हुई ।

सारे एक ही जातवाले थे ,
वाजिबन ये बारात न हुई ।

शतरंज में खेल बाकी है ,
अभी शह की मात न हुई ।

आज भी जिन्हें जमानत न मिली ,
उनके लिए शब ए बरात न हुई।


निरंजन कुमार पांडेय

अरमा लखीसराय -बिहार 

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