संदेश
विधा/विषय "विजयादशमी"
विजय पर्व - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
शुक्रवार, अक्तूबर 30, 2020
हम सब हर साल रावण के पुतले जलाते हैं विजय पर्व मनाते हैं, शायद मुगालते में हम खुद को ही भरमाते हैं। वो सतयुग था जब राम ने रावण को मार…
हो विजया मानव जगत् - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सोमवार, अक्तूबर 26, 2020
सकल मनोरथ पूर्ण हो, सिद्धदातृ मन पूज। सुख वैभव मुस्कान मुख, खुशियाँ न हो दूज।।१।। सिद्धिदातृ जगदम्बिके, माँ हैं करुणागार। मिटे समागत आ…