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विधा/विषय "ठग"
ठग - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
गुरुवार, नवंबर 10, 2022
क़दम-क़दम जीवन के प्रति पग, छल करते मिल जाते हैं ठग। जग आए तो मन था कोरा, कुछ भी न था तोरा मोरा। पहली ठगी किया पलना लोरी, माता पिता संग …
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