श्वेता चौहान 'समेकन' - जनपद मऊ (उत्तर प्रदेश)
मौन का भी अर्थ है - कविता - श्वेता चौहान 'समेकन'
सोमवार, जुलाई 14, 2025
मौन का भी अर्थ है।
ग़र समझ तुम जाओगे।
शब्द से मौन का,
निहितार्थ अधिक पाओगे।
बात करती है नज़र भी,
इनसे भी संवाद हो।
चाहते नहीं अधर अब
हमसे कोई विवाद हो।
बात से, साथ की,
अब न कोई बात हो।
हाथ थामें संग चलो,
साथ हो तो साथ दो।
मूक का वाचाल से
ग़र वार्तालाप हो।
शांति से शत्रु का
अभिमान भी परास्त हो।
चुप रहें, कम कहें,
मन जब उदास हो।
आपकी पीड़ा है।
आप ही से आस लो।
निंदकों की निंदा को
झुक कर मान दो।
अपमान की गुंजार को
मौन से सम्मान दो।
मौन का भी अर्थ है।
ग़र समझ तुम जाओगे।
शब्द से मौन का,
निहितार्थ अधिक पाओगे।
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