हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल' - कोरबा (छत्तीसगढ़)
एक और साल फिर से गुज़र गया - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'
मंगलवार, दिसंबर 31, 2024
कुछ मन में रह गया मलाल, कभी मचाया ख़ूब धमाल
यादों का एक और क़ाफ़िला, फिर मन से निकल गया
कुछ अनसुलझे सवाल, तो कुछ सुलझते जवाब दे गया
हाँ गुज़रते-गुज़रते एक और साल फिर से गुज़र गया
अलविदा दिल की रंजिश को, मन का हर मैल धुल गया
ज़िंदगी के बही खाते में, सुनहरा एक और पन्ना जुड़ गया
हाँ गुज़रते-गुज़रते एक और साल...
नवप्रभात की किरण में, चिराग़ ख़्वाहिशों का जल गया
आने वाला हरपल बेहतर हो, ख़्याल रसमीठा मन घोल गया
हाँ गुज़रते-गुज़रते एक और साल...
फिर से मन ले रहा है प्रण, जो पीछे छूटा, वो छूट गया
फिर से बढ़ना है आगे, ना समझना, मैं दौड़ के थम गया
हाँ गुज़रते-गुज़रते एक और साल...
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