रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़' - रीवा (मध्यप्रदेश)
मेरी विनती सुन माँ अम्बा - गीत - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़'
बुधवार, अक्टूबर 09, 2024
हे ज्वाला जगदम्बा
मेरी विनती सुन माँ अम्बा
हर मुराद कर मेरी पूरी
मन्नतें माँ हैं अधूरी
माता भैरवी तू रुद्रानी
तू है रौद्री संतोषी माँ
तू ही चंडी तू ही शारदा
तू ही वैष्णो आदिशक्ति माँ
तू ही है देवी लकम्मा
तू ही है माँ धुमोरना
तू ही है दुर्गा महाकाली
विकराल मुखी चामुंडा
हे ज्वाला जगदम्बा
मेरी विनती सुन माँ अम्बा
हर मुराद कर मेरी पूरी
मन्नतें माँ हैं अधूरी
तू नर मुंडों की माला पहने
पहने चर्म की साड़ी
तू दैत्य चंड मुंड संहारे
दैत्यराज शुंभ को मारे
तू कालरात्रि है शुंभकरी
है कामाख्या महागौरी
तू नैना है तारा महामाया
है कात्यायिनी कूष्मांडा
हे ज्वाला जगदम्बा
मेरी विनती सुन माँ अम्बा
हर मुराद कर मेरी पूरी
मन्नतें माँ हैं अधूरी
तू ही धर्म अधर्म की जननी
है आदिशक्ति महामाया
तू ही सती शैलपुत्री माँ
है सत्य असत्य को जाया
तू ही न्याय अन्याय धात्री
है पार्वती जगदम्बिका
तू ही सिद्धिदात्री स्कंदमाता
है ब्रह्मचारिणी चन्द्रघंटा
हे ज्वाला जगदम्बा
मेरी विनती सुन माँ अम्बा
हर मुराद कर मेरी पूरी
मन्नतें माँ हैं अधूरी
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