दिलीप वर्मा 'मीर' - सिरोही (राजस्थान)
ज़िंदगी के रंगमंच पर हर किरदार को निभा जाएँगे - ग़ज़ल - दिलीप वर्मा 'मीर'
शुक्रवार, जनवरी 13, 2023
ज़िंदगी के रंगमंच पर हर किरदार को निभा जाएँगे,
ये दोस्त देख हम कठपुतली है हर दर्द छिपा जाएँगे।
नचाती हैं दुनिया मुझे अपनी ऊँगलीयों के इशारों से,
देखना तमाशाईयों हम एक दिन सबको रूला जाएँगे।
रख लिया है हम ने अपने सीनें पर ये संग-ए-सब्र,
ये सोचकर कि कभी तो अपनी मेयारी दिखा जाएँगे।
अपनी शादमानी किसको दिखाए कौन अश्क-बार है,
इस चश्मेबद् तहे अपनी नज़रे अदब से झुका जाएँगे।
कोई तदबीर नहीं दिखती इस सूरत-ए-हाल में 'मीर',
बस लोग मेरे जनाज़े पे आ चार अश्क बहा जाएँगे।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर