लफ़्ज़ प्यार के ज़ुबाँ से कह जाएँगे - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'

लफ़्ज़ प्यार के ज़ुबाँ से कह जाएँगे,
रुख़सत होंगे तो अश्क बह जाएँगे।

नफ़रत के पहाड़ दिलों में है हमारे,
कल तक पहाड़ देखना ढह जाएँगे।

चला जाएगा ये दौर-ऐ-आलम भी,
कुछ पल इसे अगर हम सह जाएँगे।

सब्र और सलीक़े सिखाते क्या-क्या,
जब हक़ीक़त दहर को कह जाएँगे।

लम्हे जब दास्ताँ सुनाएँगें हमारे भी,
कल ज़माने को याद हम रह जाएँगे।

सकुन-ऐ-ज़िंदगी है इसी में है 'जैदि'
नम होगी आँखें जब छोड़ देह जाएँगे।

एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि' - बीकानेर (राजस्थान)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos