सजन रुत आई - लोकगीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

आई आई सजन रुत आई,
दइया लाज से मर मर जाई।
बलखा के चली गिर जाई,
कैसे सजना से नैना मिलाई।
आई आई... 2

बिन बोले पिया का बताई,
सइयाँ तोसे ही से प्रीत लगाई।
आज मौसम ने ली है अँगड़ाई,
धुन लागे है क्यूँ शहनाई।
आई आई... 2

अपने नयनन मा उनका बसाई,
प्यार का गीत जियरा मा गाई।
मोहे भावे है अब तन्हाई,
आई आई सजन रुत आई।
आई आई... 2

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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