आई होली है बरसों के बाद रे, नाचो गाओ सब झूमो तूं आज रे।
आज कहना ना कोई बदनाम रे, झूमे मस्ती में सारा जहान रे।।
डाली-डाली उपवन उपवन छाई है हरियाली कण-कण,
रंग रंगीला मौसम आया मधुर स्वरों में कोकिल गाया।
है निराली आज होली की शान रे।।
मन से सारे बैर हटा दो बीती सारी बात भुला दो,
होली ये संदेशा लाए एक सूत्र में हम बंध जाएँ।
आज बराबर है सबका तो मान रे।।
आ जाओ तूं पास हमारे तेरा दीवाना तुझे पुकारे,
लोक लाज भय शरम हटाओ होली के रंग में रंग जाओ।
दूँगा ख़ुशियाँ मैं तुझको तमाम रे।।
बाहें गोरी गाल गुलाबी रंग बिना है फीकी-फीकी,
नीला अम्बर लाल बना है तेरी चुनरी उजली-उजली।
रंग होली में चोली मेरी जान रे।।
आओगी ना पास हमारे ख़ुद तेरे हीं घर जाऊँगा,
आज किसी की डर ना मुझको दुनिया से भी लड़ जाऊँगा।
तेरे हाथों पिऊँगा मैं जाम रे।।
ललित रंग - पूर्णिया (बिहार)