माँ शारदे की चरणों में - गीत - प्रवीन 'पथिक'

हे माँ! इतनी शक्ति दो,
उर में अगाध भक्ति दो।
कि तुझसे दूर न जाऊँ मैं,
बस तुझको दिल में पाऊँ मैं।
हो जाए यदि राह भ्रमित,
दुनिया की लुभावनी माया में।
दूर करो माँ मन का चंचल,
देकर निज शीतल छाया में। 
मन की जकड़ी कुरीतियों से,
माँ मुझको तुम मुक्ति दो।
हे माँ! इतनी शक्ति दो,
उर में अगाध भक्ति दो।
माँ तेरे बिन ये जीवन,
दुनिया पर अधिभार हुआ है।
गया निकाला इस दुनिया से,
शूल-सदृश संसार हुआ है।
कपटी, छली, स्वार्थी जग में,
जीने की माँ युक्ति दो।
हे माँ! इतनी शक्ति दो,
उर में अगाध भक्ति दो।
यही कामना शेष रही माँ,
रहूँ मैं तेरी चरणों में,
मिले जो तेरा स्नेह 'पथिक' को,
दिखे सत्पथ तेरी किरणों में।
तम सागर को पार करूँ मैं,
ऐसी वह अक्षय ज्योति दो।
हे माँ! इतनी शक्ति दो,
उर में अगाध भक्ति दो।

प्रवीन 'पथिक' - बलिया (उत्तर प्रदेश)

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