पापा! आप पीछे रह गए - कविता - ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना'

नौ महीने कोख में रख
माँ ने था पाला, आपने
उम्र भर दिल में, मगर
माँ ने लाड़ लड़ाया, आप 
अनुशासन में रह गए,
माँ हमारी दोस्त बन गई 
पापा! आप पीछे रह गए।

चोट लगे तो माँ याद 
आए, ज़रूरतों पर आप
माँ हमारे जहाँ में समाई
आप फ़ाइलों में रह गए,
माँ 'यू आर द बेस्ट' बन गई 
पापा! आप पीछे रह गए।

पहली बार जब गिरे
थे हम, माँ ने झट से
गोद लेकर प्यार जताया
आप असमंजस में रह गए,
माँ 'ममतामयी' बन गई 
पापा! आप फिर पीछे रह गए। 

हम जब होस्टल गए 
माँ ने डिब्बे भर भेजे 
फरसान, आपने भेजी
चिट्ठी भर-भर नसीहतें 
लौटे तो माँ ने गले लगाया
आप इंतज़ार में रह गए,
माँ 'मिस्ड यू मम्मा' बन गई 
पापा! आप फिर पीछे रह गए। 

हम बच्चों की अलमारी 
ज़रूरत से ज़्यादा भरी
आप बस चार जोड़ी में
में अपनी उम्र गुज़ार गए 
सबकी चाहतें पूरी करते
परिवार के पीछे रह गए 
हम सब तो आगे बढ़ गए 
पापा! आप क्यों पीछे रह गए?

हमारी ख़ुशियों को आगे कर
पापा! आप हर बार पीछे रह गए,
पापा! आप हर बार पीछे रह गए।

ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना' - राउरकेला (ओड़िशा)

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