माँ - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

चंदन जैसी माँ तेरी ममता,
तेरी मिसाल कहाँ दूँ माँ।
जनम मिले गर फिर धरती पर,
तेरा ही लाल बनूँगा माँ।

तूने कितनी रातें वारी,
जाग जाग कर मुझे सुलाया।
अपने नैनों की ज्योति से,
तूने मुझको जग दिखलाया।

कैसे चुकाऊँ कर्ज़ दूध का,
कितना मलाल करूँगा माँ,
तेरी मिसाल कहाँ दूँ माँ।
जनम मिले गर...

चल कर ख़ुद तपती राहों में,
तूने मुझको गोद उठाया।
नज़र लगे ना कभी किसी की
काला टीका सदा लगाया।

मेर जीवन का तू हिसाब थी,
किससे सवाल करूँगा माँ, 
तेरी मिसाल कहाँ दूँ माँ।
जनम मिले गर...

जीवन पथ से काँटे चुनकर,
तूने सुंदर फूल सजाया।
माँ ना कभी कुमाता होती,
औलादों ने भले रुलाया।

धरती नदिया पर्वत अम्बर,
तेरी मिसाल कहाँ दूँ माँ।
जनम मिले गर...

तेरे पावन अमर प्यार को,
मैं नादाँ था समझ न पाया।
ईश्वर भी ना तुझसे बड़ा है,
अब यह मेरी समझ में आया।

आँचल में फिर मुझे छुपा ले,
तेरा ख़्याल रखूँगा माँ।
तेरी मिसाल कहाँ दूँ माँ।
जनम मिले गर...

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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