डॉ. अवधेश कुमार अवध - गुवाहाटी (असम)
लिखना - ग़ज़ल - डॉ. अवधेश कुमार अवध
गुरुवार, फ़रवरी 11, 2021
ज़िंदगी ज़िंदादिली को प्यार लिखना,
अजनबी को मत कभी हमयार लिखना।
अनछुए कोरे कपोलों की परिधि पर,
तर्जनी से यूँ नहीं सिंगार लिखना।
हैं शरम से लाल मेरे अनजुठे लब,
मत जुठाकर प्रीति का अभिसार लिखना।
नत नयन में ख़्वाब मत कोई पिरोना,
नींद में आकर नहीं अधिकार लिखना।
दे दखल ना तूँ मेरे हक़ में अवध यूँ,
मौन को मेरे नहीं स्वीकार लिखना।
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