मौत और ज़िन्दगी - गीत - सतीश मापतपुरी

नाश और विध्वंस ही निर्माण का आरम्भ है।
मौत ही तो ज़िन्दगी का इक नया प्रारम्भ है।

हम खिलौना हैं किसी के हाथ का।
छूटता जो ग़म न कर उस साथ का।
कितना है नादान इन्सां झूठ उसका दंभ है।
नाश और विध्वंस ही निर्माण का आरम्भ है।

ज़िम्मेदारी जो मिली ज़िंदगी का कर्ज़ है।
रिश्ता चाहे जो भी हो वो तुम्हारा फ़र्ज़ है।
चाहना अपनों से कुछ हक़ नहीं प्रलंभ है।
नाश और विध्वंस ही निर्माण का आरम्भ है।

दाख भूषण सुख औ वैभव घर अटारी।
चिकनी काया गोरा रंग सूरत ये प्यारी।
ये टिकाऊ है नहीं ये छत खड़ी बिन खंभ है।
नाश और विध्वंस ही निर्माण का आरम्भ है।

सतीश मापतपुरी - पटना (बिहार)

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