तुम जीवन संगीत प्रिये - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

तुम  जीवन  संगीत  प्रिये,
मैं कोकिल मधुगान करूँ।
निशिचन्द्र अभिलाष प्रिये,
मधुर रास  परिहास करूँ।

वासन्तिक छब्बीस बरस
दुख सुख कैसे  वात बहे।
हर गम सुख के साझी बन,
हमदम  साजन साथ सहे। 

तजे सभी अभिलाष  प्रिये,
कैसे   मैं   उल्लेख   करूँ।
दुर्गम  पथ   सारथी   बनी,
मैं कृतज्ञ  इज़हार     करूँ।

जीवन के सुखसार  प्रिए ,
तुम आयी नवदीप  जले।
झंझावातों   में   पड़कर,
नौका तुम   पतवार बने। 

स्वाभिमान की प्रतिमा तुम,
मीत बनी   निःस्वार्थ  प्रिये। 
धीर शील करुणा   ममता,
प्रीति मधुर    मुस्कान प्रिये। 

बन सहिष्णु  जीवन साथी,
अस्मित मुख रुख्सार प्रिये। 
सही   विपद   वैदेही   बन,
सदा   रही   गलहार   प्रिये। 

गत वसन्त  छब्बीस  प्रिये,
सुरभित वन दो फूल खिले।
अलि  गुंजे अनमोल चमन,
कीर्ति  मधुर  अनुराग प्रिये। 

आओ  गूथें  स्मृति  माला ,
दोनों  मुख  मुस्कान  भरें ।
तज अतीत दुखद पृष्ठ को,
मधुर मिलन अभिसार करें। 

प्रीति कुसुम उपहार   मधुर,
कृतज्ञ  मीत  आभार  प्रिये।
चारु चन्द्र निशि शान्ति पहर,
सात कसम हम साथ जिये। 


26वीं वैवाहिक वर्षगाँठ पर अपनी अर्द्धागिणी डॉ. श्रीमती निशि कुमारी जी को समर्पित रचना उपहार
कवि डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" अपनी अर्द्धागिणी डॉ. श्रीमती निशि कुमारी जी के साथ

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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